15 Financial Ratios जो बताएंगे कंपनी की सच्ची Value!

Financial Ratio यानि बित्तीय अनुपात जिसकी मदत से ,मेरे और आप जैसे आम आदमी किसी भी कंपनी या ब्यबसाय की फाइनेंसियल प्रदर्शन यानि वो अपने क्षेत्र में कैसे काम कर रही है ये पता लगा सकते है। और आप शेयर मार्किट में नए है तो, ये जानना आपके लिए महत्वपूर्ण चीज़ो में से एक है। जिसमे बड़े कमालके Ratio या अनुपात शामिल है।

तो आइये जानते है इस महत्वपूर्ण चीज़ के बारे में जिससे जानने भर से ही आपको किसी भी कंपनी की फाइनेंसियल स्थिति के बारे में अंदाजा लग् जायेगा।

Table of Contents

Financial Ratio Meaning | फाइनेंसियल रेश्यो क्या है ?

Financial Ratio एक ऐसा उपयोगी अनुपात हैं जिसे जानकर आप किसी कंपनी के फाइनेंसियल स्थिति का पता लगा सकते हैं। ये अनुपात कंपनी की विभिन्न पहलुओं को विश्लेषण करने का एक तरीका होते हैं, जैसे कि ऋण पूंजी, लिक्विडिटी, मुनाफा वसूली, और कारोबारी क्षमता।

इन अनुपातों का उपयोग करके, निवेशक और वित्तीय विश्लेषक कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का मूल्यांकन कर सकते हैं।

Importance of Financial Ratio Analysis:

अनुपात विश्लेषण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह किसी कंपनी के ब्यबसाय संचालन की स्थिति का अधिक सटीक जानकारी प्रस्तुत कर सकता है।

मान लीजिये ,कोई कंपनी अपने 3 महीने के कार्यकाल में 1000 करोड़ रुपये कमाई। हलाकि यह अछि कंपनी प्रतीत होता है, लेकिन कंपनी की लाभ मार्जिन ना के बराबर या नहीं भी हो सकती है, और पिछले क्वाटर(3 महीने ) में Equity की तुलना में कम आय हो सकती है।

बस कुछ नंबर अपने आप में ये पूरी तरह से नहीं बता सकती की कोई कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है। इसलिए फाइनेंसियल रेश्यो बिश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।

Uses of Financial Ratio In Hindi:

फाइनेंसियल रेश्यो एनालिसिस के तीन मुख्य इस्तेमाल है। पहला , समय के साथ साथ कंपनी किस तरह की परिबर्तन अपने ऊपर ला रही है इसे ट्रैक किया जा सकता है।

दूसरा ,इसी क्षेत्र के दूसरे कंपनियों के साथ तुलना किया जा सकता है ताकि यह देखा जा सके की कंपनी दूसरे कंपनियों के तुलना में कैसा प्रदर्शन कर रही है।

तीसरा , कंपनी के अंदर और बाहार के चीज़ो को जैसे उस कंपनी में कितना कर्जा है , वो सब जान सकते है फाइनेंसियल रेश्यो बिश्लेषण करके।

आगे इसके बारे में हम बिस्तार से बात करेंगे।

Why Do Investors Use Financial Ratio Analysis|किउ निबेशक़ फाइनेंसियल रेश्यो एनालिसिस का उपयोग करते है ?

फाइनेंसियल अनुपात उपयोग करने के पीछे 6 मुख्य कारण है ,जिसके मदद से एक निबेशक़ किसी भी कंपनी की ब्यबसायिक स्थिति को जान सकता है। आइये जानते है बिस्तार से उन कारणों के बारे में।

1.कंपनी की सेहत जानने के लिए:

फाइनेंसियल रेश्यो आपको किसी भी कंपनी के फाइनेंसियलस के बारे में समझने में मदद कर सकती है। यह हमें बताता है कि कंपनी मुनाफा कमा रही है या नहीं, और उसके पास खर्चे पूरे करने के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं।

2.कंपनियों की तुलना करने के लिए :

इन रेश्यो के मदद से आप एक कंपनी को दूसरे कंपनी के साथ तुलना कर सकते है। जिससे आपको ये पता लगेगा कोनसी कंपनी कैसा प्रदशन कर रही है,और कोनसी कंपनी निबेश के लिए सही है, जिससे आप ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सके।

3.समय के साथ परफॉर्मेंस देखने के लिए :

फाइनेंसियल रेश्यो समय के साथ कंपनी के प्रदर्शन को ट्रैक करने में मदद करते हैं। इससे निवेशकों को यह समझने में मदद मिलती है कि कंपनी की फाइनेंसियल स्थिति में सुधार हो रहा है या गिरावट आ रही है।

4.सही फैसला लेने के लिए :

निवेशक Financial Ratio का उपयोग निवेश निर्णय लेने में करते हैं। जैसे कि किसी कंपनी के स्टॉक में निवेश करना है या नहीं, इसका निर्णय वित्तीय अनुपात के आधार पर किया जा सकता है।

5.जोखिम प्रबंध करने के लिए:

Financial Ratio एनालिसिस से निवेशक कंपनी के फाइनेंसियल जोखिम का अंदाज़ा लगा सकते है। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि कंपनी अपने ऋणों को चुकाने में सक्षम है या नहीं।

6.मैनेजमेंट की प्रभावशीलता का मूल्यांकन: 

Financial Ratio एनालिसिस का उपयोग करके निवेशक कंपनी के मैनेजमेंट की दक्षता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन कर सकते हैं। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि कंपनी का मैनेजमेंट अपने संसाधनों का उपयोग कितनी अच्छी तरह कर रहा है।

इन्ही कारण के वजह से निबेशक़ और आम लोग फाइनेंसियल रेश्यो को इतना महत्वा देते है।

What Are The Types of Financial Ratio In Hindi:

Types of financial ratio in hindi

Financial Ratio मुलत 4 प्रकार के होते है जिनके मदद से कंपनी की फाइनेंसियल स्थिति , मैनेजमेंट ,ऋण , या कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है वो समझ सकते है।

उन रेश्यो के बारे में बिस्तार से जानकारी निम्नलिखित है।

1.Pofitablity Ratio:(लाभप्रदता अनुपात):

इस Financial Ratio के मदद से आप किसी भी ब्यबसाय की लाभ कमाने की क्षमता को माप सकते है।  इसे दो मुख्य भाग में बांटा गया है पहला है Return On Sales ,और दूसरा है Return on Investment,

1.Returun On Sales:

कंपनी अपने sales या बिक्री से पैसे बना पा रही है या नहीं इसका पता इस रेश्यो से कर सकते है । इसे भी 4 भागो में बांटा गया है, आइये जानते है उन सबके बारे में।

Important Tip: प्रॉफीटाब्लिटी रेश्यो का मान जितनी ज्यादा होगी  कंपनी के लिए उतना ही ज्यादा लाभदायक होगा।

1.Growth Profit Magin:

कंपनी अपनी सारि बिक्री (Sales ) के बाद जितना पैसा कुल कमाती है ,उससे COGS (कॉस्ट ऑफ़ गुड्स सोल्ड ) घटाने के बाद जो पैसा बनता है वो ग्रॉस प्रॉफिट (gross Profit )कहलाता है।

और इसे कुल कमाई से भाग करने पर हमे GPM या ग्रोथ प्रॉफिट मार्जिन मिलता है।

  Formula: Gross Profit / Total Revenue(Net Sales) = GPM (Growth Profit Magin)

2.Operating Profit Magin:

कंपनी अपने मुख्य ब्यबसाय परिचालन करने के बाद जो पैसे कमाती है , उससे परिचालन खर्च (Operating expense ) जैसे कर्मचारी वेतन, R&D, किराया, काटने के बाद जो बचता है।

उसे ही Operating Profit बोला जाता है , और उसे कुल कमाई से भाग करने पर हमे OPM या ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन मिलता है।

  Formula: Operating Profit / Total Revenue = OPM (Operating Profit Magin)

3.Pre-tax Magin:

कंपनी के पास सरकारी टैक्स देने से पहले जो भी पैसा कमाई से बची होती है उसे ही Profit Before Tax बोला जाता है। और इसे कुल कमाई से भाग करने पर जो बचता है उसे ही Pretax Margin बोला जाता है।

 Formula:Profit Before Tax(PBT) / Total Revenue =Pretax Margin

4.Net Profit Magin:

कंपनी अपने कुल राजस्व (Revenue) में से सारे खर्चे पुरे करने के बाद कितना कमा रही है उसे ही Net Profit कहा जाता है। और इससे कुल राजस्व भाग करने पर हमे NPM (नेट प्रॉफिट मार्जिन ) मिल जायेगा।

Formula:Net Profit / Total Revenue =NPM(Net Profit Margin)

1.Returun On Investment: (ROI)

रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट(ROI) यानि अपने जो पैसे निबेश किया है उसमे आपको कितना कमाई होगा , इसके मदद से आप ये पता लगा सकते है की कंपनी वाकई में पैसे बना रही है या नहीं चाहे वो अपने लिए या निबेशको के लिए।

ROI को 3 भागो में बांटा गया है, जानकारी निम्नलिखित है।

1.Return on Equity:(ROE)

रिटर्न ऑन इक्विटी एक ऐसा Financial Ratio जिसके मदद से आप पता लगा सकते है , कोई कंपनी प्रॉफिट कमाने में कुशल है या नहीं। ROE (Return On Equity ) जितना ज्यादा होगा ,

उस कंपनी के मैनेजमेंट के लिए उतना ही आसान होगा इक्विटी फाइनेंसिंग का इस्तेमाल करने प्रॉफिट बनाना।

Formula: Net income(PAT) / Total Equity (Share Holder Fund)

2.Return on Capital Employed:(ROCE)

ROCE एक Financial Ratio है जो यह बताता है कि एक कंपनी अपनी निवेशित पूंजी(Capital) से कितना रिटर्न (लाभ) कमा रही है। यह कंपनी की प्रदर्शन और लाभप्रदता(Profitablity ) को मापने का एक तरीका है।

Formula: EBIT  /  Capital Employed= ROCE

  *EBIT(Earnings Before Intrest Tax): ये कंपनी के ब्याज (Intrest ) और टैक्स देने से पहले की कमाई है।

  *Capital Employed: यह कुल संपत्ति(Asset) से कुल देनदारियों को घटाकर प्राप्त किया जाता है। इसे निम्नलिखित प्रकार से भी समझा जा सकता है:

Capital Employed= Total Assets−Current Liabilities

3.Return on Asset:(ROA)

यह Financial Ratio कंपनी की सारे संपत्ति पर मुनाफे का प्रतिशत दर्शाता है। इसे देखकर निवेशक यह पता लगाती हैं कि कंपनी अपने संपत्तियों का उपयोग करके लाभ कितनी कुशलता से कमा रही है।

और ये जितना ज्यादा होगा उस कंपनी के लिए उतना ही अच्छा होगा।

Formula: Net Income /  Total Asset = ROA

2.Liquidity Ratio:(तरलता अनुपात ):

लिक्विडिटी रेशियो एक Financial Ratio है जो ,यह दर्शाता है कि किसी कंपनी के पास अपने अल्पकालिक देनदारियों (Short Term Liablities) को चुकाने के लिए कितनी नकदी और नकदी के समकक्ष संपत्तियाँ (Asset) हैं।

किसी भी कंपनी के तरलता का पता लगाने के लिए मुख्य 2 रेश्यो है ,जो निम्नलिखित है।

1.Current Ratio:

ये रेश्यो के मदद से किसी भी कंपनी की शार्ट टर्म लिएबलिटी जैसे शार्ट टर्म लोन,बिल्स, कर्मचारियों के सैलरी इत्यादि चुकाने की क्षमता का पता लगा सकते है।

Formula: Total Current Asset / Total Current Liability = Current Ratio

अगर यह रेशियो 1 से ज्यादा है, तो यह अच्छा संकेत है कि कंपनी के पास अपनी देनदारियों को चुकाने के लिए पर्याप्त संपत्तियाँ हैं।

2.Quick Ratio:(Acid Test Ratio)

यह Financial Ratio कंपनी की त्वरित संपत्तियों (Quick Asset) को कुल चालू देनदारियों (Current Liability) से विभाजित करके निकाला जाता है।

क्विक एसेट वो होते है जिन्हे एक साल से कम समय में नकदी में तब्दील किया जा सके।

Formula: Total Quick Asset / Total Current Liability = Quick Ratio

  Quick Asset Formula: Current Asset – Inventory

यह रेशियो अधिकतर 1 से ऊपर होनी चाहिए, जिससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी तुरंत अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकती है।

3.Solvency Ratio:(सॉल्वेंसी अनुपात):

एक Financial Ratio है जो किसी कंपनी की लंबी अवधि की वित्तीय स्थिति को जांचने में मदद करता है। यह रेशियो यह बताता है कि क्या कंपनी अपने दीर्घकालिक ऋणों और दायित्वों को चुकाने में सक्षम है या नहीं।

       सॉल्वेंसी रेशियो के मुख्य भाग:

1.Debt to Equity Ratio:

यह Financial Ratio कंपनी के कुल ऋण (देयता) और शेयरधारकों की इक्विटी (स्वामित्व) के बीच के संबंध को दर्शाता है।

Formula: Total Debt / Shareholder’s Equity= Debt to Equity Ratio

आदर्श रेश्यो हमेशा 1 से कम होना चाइये। किउकी बुरे हालात में कम Debt to Equity वाली कम्पनिया अच्छे से टिक पाती है।

उदाहरण: यदि किसी कंपनी का कुल ऋण ₹50 लाख है और शेयरधारकों की इक्विटी ₹100 लाख है, तो डेब्ट टू इक्विटी रेशियो 0.5 होगा।

2.Intrest Coverage Ratio:

इस रेश्यो के मदद से हमे ये पता चलता है की कोई कंपनी अपने लाभ से कितनी बार अपने ब्याज(Intrest ) को चूका पाती है।

Formula: PBIT(Profit Before Intrest and TAX) / Intrest Payment

बैंक और बिश्लेषक ICR का इस्तेमाल करते है किसी कंपनी की क्षमता को जानने के लिए।

ICR जितना ज्यादा होगा उस कंपनी की ब्याज देने की क्षमता भी उतना ही ज्यादा होगा।

3.Debt Service Coverage Ratio:

यह रेशियो यह मापता है कि कंपनी अपने कुल कर्ज और ब्याज के भुगतान को कितनी बार अपने ऑपरेटिंग प्रॉफिट से पूरा कर सकती है।

Formula: Operating Profit + Amortization+Intrest / Principle Payment + Interest Payment= DSCR

उदाहरण:यदि किसी कंपनी की कमाई ₹30 लाख है और उसकी कुल कर्ज ₹10 लाख है, तो डेब्ट सर्विस कवरेज रेशियो 3 होगा।

4.Activity Ratio:(सॉल्वेंसी अनुपात):

एक्टिविटी रेशियो एक प्रकार का वित्तीय अनुपात (Financial Ratio) होता है, जिसका उपयोग यह मापने के लिए किया जाता है कि किसी कंपनी के संसाधनों का उपयोग कितनी कुशलता से किया जा रहा है।

यह अनुपात कंपनी की दक्षता और प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है।

एक्टिविटी रेशियो के कुछ प्रमुख प्रकार होते है , जो निम्नलिखित है।

1. इन्वेंटरी टर्नओवर रेशियो (Inventory Turnover Ratio):

ये रेश्यो के मदद से हमे पता चलता है की कंपनी अपने inventory यानि भंडार की कितनी बार भर रही है और खली कर रही है।

Formula: Cost of Goods Sold / Average Inventory =Inventory Turnover Ratio

ज्यादा इन्वेंटरी टर्नओवर रेशियो का मतलब है कि कंपनी तेजी से अपनी इन्वेंटरी बेच रही है, जो एक अच्छा संकेत है।

2. रिसीवेबल्स टर्नओवर रेशियो (Receivables Turnover Ratio):

इस रेश्यो के मदद से आप समझ सकते है की कोई कंपनी अपने क्रेडिट विक्रय से प्राप्त धनराशि को कितनी बार एकत्र करती है।

Formula: Net Credit Sales / Average Account Receivables =Receivables Turnover Ratio

उच्च रिसीवेबल्स टर्नओवर रेशियो का मतलब है कि कंपनी अपनी बकाया राशि को तेजी से एकत्र कर रही है, जो एक अच्छा संकेतक है।

2. एसेट टर्नओवर रेशियो (Asset Turnover Ratio):

इस Financial Ratio से आप जान सकते है की कंपनी अपने कुल संपत्ति का उपयोग कितना कुशलता से कर रही है।

Formula: Net Sales / Average Total Asset =Asset Turnover Ratio

उच्च एसेट टर्नओवर Ratio का मतलब है कि कंपनी अपनी संपत्तियों का उपयोग अधिक कुशलता से कर रही है।

Conclusion:

इस लेख में आपने जाना Financial Ratio के बारे में जो एक बिज़नेस या एक कंपनी के फंडामेंटल बिश्लेषण करने में और वो ब्यबसाय को अच्छी तरह जानने में मदद करती है ,जिससे आप सोच समझके अपने निबेश के फैसले ले सके और आपको लाभ ज्यादा से ज्यादा हो सके।

इस लेख को पढके आपको रेश्यो समझने में मदद मिलि है तो ,निचे अपना कमेंट देना न भूले। और आगे आने वाले लेख में हम एक एक रेश्यो को और भी अच्छे से जानेंगे और समझेंगे।.


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